NEWS
Brahma Kumaris National Administrators Conference Bhopal

ब्रह्माकुमारीज भोपाल द्वारा स्वर्ण जयंती महोत्सव का चौथा दिन 108 कार्यक्रमों का हुआ आयोजन स्वर्णिम प्रशासन हेतु देशभर से जुटे कुशल वक्ता दिल, दिमाग एवं कर्म के संतुलन से ही कुशल प्रशासन संभव – राजयोगिनी आशा दीदी यदि आप अपनी आत्मा की आवाज को सुनें और फालो करें तो सारा प्रषासन बहुत अच्छी तरह चल सकता है। आजकल के षिक्षार्थियों की तीन तरह की श्रेणियां देखी जाती हैं। पहला जो लोग बात को इषारे से समझते हैं और धारण करते हैं। उन्हे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं होती है। दूसरा जो खुद नहीं करते परंतु कहकर करवाया जाता है। तीसरे श्रेणी के वे लोग हैं जो कहने से भी
नहीं करते। परंत एक चैथी श्रेणी भी आजकल देखी जाती हैं वह है जो नियम तोड़कर खुष होते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई बार हम समझते हैं कि हम अपनी अंतर्रात्मा की आवाज के खिलाफ जा सकते हैं। परंतु आप अपनी आत्मा की आवाज रोक नहीं सकते उसका गला नहीं घोट सकते। जब आप अपने प्राकृतिक स्वभाव के विरूद्ध कार्य करते हैं तो अंदर की शांति भंग होती है। स्वर्णिम दुनिया का प्रषासन पारिवारिक रूप का होता है। सारी प्रषासनिक प्रणाली परिवार के रूप से
चलती है। सवर्णिम दुनिया में ईमानदारी एवं पारदर्षिता होती है। वहां मैं का स्वरूप नहीं होता हम का स्वरूप होता है। आपके अंतर्गत कार्य करनें वाले लोगों को पैसे से ज्यादा प्यार, मोहब्बत एवं अपनापन चाहिए होता है। यही बातें उनके अंदर आपके प्रति विष्वास पैदा करती हैं। विष्वास कहीं और से नहीं बल्कि अपनेपन से पैदा होता है। अतः प्रशासक जागरूक भी रहें एवं विष्वास भी पैदा करें। प्रशासक के अंदर प्यार एवं सम्मान का भी गुण होना चाहिए। खुद से पूंछें कि हम जिनके साथ कार्य करते हैं क्या वास्तप में हम उनसे प्यार भी करते हैं या हमे केवल काम से ही प्यार है। क्योंकि स्वर्णिम दुनिया में प्यार एवं सम्मान काम में आते हैं। सम्मान मांगने की चीज नहीं है। सम्मान देगे तो मिलेगा। हरेक व्यक्ति को उसके गुणों के कारण सम्मान देना चाहिए। ब्रह्माकुमारी विष्व विद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा नें कभी किसी को रिजेक्ट नहीं किया। उन्होने यह कभी नहीं सोचा कि यह फालतू है या यह किसी काम का नहीं है। परंतु उन्होनें उसके गुणों को देखकर कार्य में लगाया। उसकी सेल्फ वर्थ को देखकर काम में लगाया। बाबा नें एसेप्ट एवं एप्रिसिऐट करना ये बातें सिखाईं। एसेप्ट अर्थात जो व्यक्ति जैसा आया है उसे स्वीकार करें। जिस आत्मा में जितनी शक्ति है वह उतना ही कर सकती है। एसेप्ट करने से धीरे -धीरे उसमें योग्यता आती जाएगी। और दूसरा शब्द है – एप्रिसिऐट। आज एप्रिसिऐषन की किसे आवष्यकता नहीं है।
सकारात्मक बातें के प्रयोग से माहौल बदलता जाएगा। एक बार मदर टेरेसर नें एक कंपनी के मालिक से पूंछा आप कर्मचारियों को सुख-सुविधाएं देते हैं पर क्या आप उन्हे प्यार भी देते हैं।स्वर्णिम प्रषासन के लिए हेड, हार्ट एवं हैण्ड तीनों में समन्वय एवं समरसता होना आवष्यक है। अर्थात दिल, दिमाग एवं कर्म का संतुलन होना आवष्यक है। प्यार वह चीज है जो असंभव को
संभव बना देती है। वो धारण जिससे हम पलते हैं, उसके प्रति प्यार चाहिए। अगर यह निष्चय हो जाए कि हम आत्माएं अपना पार्ट बता रही हैं हम जो चाहें वह कर सकते हैं। हम चाह लें तोपत्थर को पानी कर सकते हैं। आई एम द कैप्टन आफ शिप। परिस्थितियों के गुलाम होकर यह बात मन एवं मष्तिस्क में भी न आए कि मैं क्या कर सकता हूं। वरन् यह निष्चय करें कि मैं नहीं करूंगा तो और कौन करेगा। स्वर्णिम प्रशासन के लिए असली परिवर्तन प्रषासन में नहीं प्रषासक के सोच एवं नजरिए में लानें की जरूरत है। उक्त विचार ब्रम्हाकुमारीज राजयोग एजूकेषन एवं रियर्च फाउंडेषन के प्रषासक सेवा प्रभाग की
राष्ट्रीय अध्यक्षा दिल्ली से पधारी ब्रम्हाकुमारी राजयोगिनी आशा दीदी नें आज राजयोग भवन अरेरा कालोनी स्वर्णिम श्रेष्ठ प्रषासन विषय पर आयोजित राष्ट्रीय प्रषासक सम्मेंलन में व्यक्त किए। गोधरा से पधारे प्रषासक प्रभाग के सचिव बी.के. शैलेष भाई नें संस्था एवं प्रषासक प्रभाग के बारे में विस्तार से बताया। म.प्र. विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेष प्रताप सिंह जी नें कहा कि वही स्वर्णिम प्रषासन है जहां प्रषासन की आवष्यकता ही न हो। भीड़ में भी जो शांत रह सके वही सच्चा प्रषासक है। सच्चा प्रशासक वह जिसमें निर्लिप्तता का गुण हो। सच्चे प्रषासक में चुनौतियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। सच्चे प्रषासक में सेवा भाव का होना नितांत आवष्यक है। सच्से प्रषासक में उचित निणय लेनें की कला होना चाहिए। यदि वह सही निर्णय लेगा तो स्वयं भी संतुष्ट होगा एवं दूसरों को भी संतुष्ट करेगा। उन्होनें कहा परमात्मा हमें मदद देनें के लिए सदैव हमारे साथ होते हैं परंतु यदि हम उन्हे याद नहीं करते तो सही समय पर परमात्मा की मदद हमें प्राप्त नहीं होती। सम्मेलन में म.प्र. विद्युत मंडल के प्रबंध निदेषक डा. संजय गोयल आई. ए. एस. नें कहा कि यदि प्रषासक कुछ समय निकालकर अपनी कमियां निकाले तो प्रशासन में सुधार आएगा। सम्मेलन में श्री सीताराम मीणा आई. ए. एस. उत्तर प्रदेष श्री राकेश दुबे निदेशक आपदा प्रबंधन, श्री ब्ही. के. शर्मा अहमदाबाद, बी.के. बीणा बहन, सिरसी कर्नाटका आदि नें भी स्वर्णिम प्रशासन हेतु
अपने विचार ब्यक्त किए।
भोपाल जोन की निदेशिका एवं ब्रम्हाकुमारीज राजयोग एजूकेषन एवं रिशर्च फाउंडेशन के प्रशासक सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बी. के. राजयोगिनी अवधेश दीदी नें बताया कि 5 दिवसीय स्वर्ण जयंती महोत्सव के अंतर्गत भोपाल के विभिन्न संस्थानों में 108 से भी अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
बी. के. उर्मिल बहन क्षेत्रीय निदेशिका दिल्ली जोन नें सभी उपस्थितों को राजयोग की अनुभूति कराईं।
भोपाल गुलमोहर सेवाकेन्द्र की प्रभारी बी. के. डा. रीना बहन नें सभी का स्वागात किया साथ ही कुशल मंच संचालन किया । उन्होंने सभ्जी भोपाल शहर वाशियों से आग्रह किया कि स्वर्णिम श्रेष्ट प्रशासन के ब्रह्माकुमारिस के इस पुनीत कार्य में सहभागी बने ।
B. K. Asha Didi, Chairperson, Administrators Service Wing.